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Chattwala Bhoot Part 2
मुकेश के अचानक तेज़ हुए स्वर को लक्ष्मी ने समझते हुए कहा अच्छा कोई बात नहीं पर शाम को खाना खाने घर तो आ रहे हो या खाना भी वही बन रहा हे ? लक्ष्मी के इस प्रश्न ने मानो जैसे मुकेश को सपनो की दुनिया से निकल कर हकीकत के धरातल पर रख दिया ओर लक्ष्मी के इस प्रश्न से झेपते हुए मुकेश ने कहा।
SHORT HINDI STORY
Yogesh Sharma
1 min read


Chattwala Bhoot Part 2
कहानी लेखक :- योगेश चंद्र शर्मा
लीगल राइट्स – यह कहानी पूर्णतया कल्पना पर आधारित हे जिसका किसी वास्तविक जीवन से कोई लेना देना नहीं हे एवं लेखक ने स्वयं इसे कल्पना के आधार पर लिखा हे यदि कोई व्यक्ति इस कहानी को कही भी किसी भी रूप मे काम मे लेता हे तो उस व्यक्ति को पहले लेखक को इस कहानी का पूर्ण भुगतान करना होगा। यदि कोई व्यक्ति लेखक की अनुमति के बिना अपने काम मै लेगा तो लेखक को स्वतंत्र रूप से उस व्यक्ति पर क़ानूनी कार्यवाही करने का पूर्ण अधिकार होगा। जिसके समस्त हर्जे खर्चे का जिम्मेदार इस कहानी का दुरूपयोग करने वाला वह व्यक्ति स्वयं होगा। कृपया कहानी को लेखक से ख़रीदे बिना कही भी प्रयोग मै न लाये।
यह कहानी हमारी पिछली कहानी छत्तवाले भूत के आगे आगे का हिस्सा हे!
ऐसे ही यार लोग घर में भूत होने की अफवाह उड़ाते रहे और मुझे करोडो की प्रॉपर्टी कोडियो के दामों में मिल जाये तो मज़ा आजाये। और सच बताऊ तो आज जा कर मेरे प्रॉपर्टी के इस बिजनेस में मुझे मज़ा आ रहा हे, ऐसा लग रहा हे मानो पहली बार इतनी शानदार डील मिली हे। मुकेश ने फ़ोन पर अपने दोस्त प्रकाश से बात करते हुए कहा।
भाई पर सच में उस घर में भूत हुआ तो ? प्रकाश ने प्रतिउत्तर में पूछा।
अरे कोनसा भूत ? भाग गया भूत तो उसके पुराने मकान मालिक के साथ। वैसे भी वो नविन बेवकूफ था जो लोगो की बातो में आगया और लोगो की बताई अफवाओं को सच मान गया बाकि हकीकत में भूत वूत कुछ नहीं होता सब मन का वहम हे। थोड़ी सी तेज़ हवा क्या चली लोगो के मन में डर का कोहराम मचने लगता हे। मुकेश ने प्रकाश की बात को बिच में ही रोकते हुए कहा।
चलो ठीक हे मान लिया तुम जो कह रहे उस बात में सचाई हे, और कोई भूत भी नहीं इस घर में, पर उन लोगो का क्या जिन्हे अब भी यही लगता हे की इस घर में भूत हे? प्रकाश ने अपना जिज्ञासा भरा प्रश्न फिर से मुकेश की और हवा में फेका।
अरे उन लोगो की इस मेहरबानी की वजह से ही तो मुझे यह घर इतने सस्ते दामों में मिला हे। मुकेश ने अपनी विजयी हसी हसते हुए कहा।
हा पर तब बात तुम्हारे मकान को खरीदने को ले कर थी और अब अब बात इस मकान में किये इन्वेस्मेंट को वसूलने की हे। जब यह मकान बिकेगा तभी तो तुम्हारा फायदा होगा और इस प्रॉपर्टी में किया तुम्हारा इन्वेस्टमेंट रिकवर हो पायेगा। प्रकाश ने मुकेश के मन में चल रही बातो को जानने के भाव से जिज्ञासु हो कर पूछा।
ऐसा कुछ नहीं हे पुराने मालिक ने घर भूत होने वाली बात मानते हुए छोड़ दिया था पर में उसके इस भ्रम को लोगो की नज़र में गलत साबित कर के सब ठीक कर दूंगा। मुकेश ने एक कॉन्फिडेंस भरे स्वर में कहा।
अब ये मत बोलना तू वही रुकने वाला हे। प्रकाश ने हसते हुए कहा।
में यही करने वाला हु। मुकेश ने अपनी बात को सही साबित करने की जैसे ठान ली थी।
भाई, तू पागल तो नहीं हो रहा हे ? प्रकाश ने थोड़ा गंभीर स्वर में पूछा।
क्यों ? मुकेश ने प्रतिउत्तर में कहा।
क्यों क्या ? हम लोग प्रॉपर्टी डीलर हे, भूत प्रेत होते या नहीं ये साबित करने वाले नहीं। प्रकाश ने मुकेश को समझाते हुए कहा।
परन्तु मुकेश के कोई बात इतनी आसानी से कहा समज में आने वाली थी उसने प्रकाश को बिच में रोकते हुए कहा अरे यार जब में खुद ही यहाँ नहीं रहूँगा तो बाकि लोग कैसे रहेंगे ? कुछ नहीं होगा सिर्फ लोगो का भूत वाला भ्रम दूर करने के लिए में यहाँ कुछ दिन रहने वाला हु ताकि लोग यह सच जान पाए की यहाँ कोई भूत नहीं हे और फिर में इस प्रॉपर्टी को बेच कर अच्छे पैसे कमा लूंगा।
देख ले यार जैसा तुझे ठीक लगे बाकि मेरे हिसाब से तो तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए। प्रकाश ने कहा।
अच्छा सुन मुझे आज इस घर में शाम तक सारा सामान शिफ्ट करना हे में तुजसे बाद में बात करता हु आज पूरा दिन इस घर के काम में ही बिजी रहूँगा। मुकेश ने प्रकाश से यह बोलते हुए अपना फ़ोन कट कर दिया।
फ़ोन कट करने के बाद मुकेश का मन काफी सारे प्रश्नो से भर गया जिसमे से अधिकतर डरने-डराने वाले ही प्रश्न थे जो की मुकेश के मन में आना स्वभाविक भी थे, क्युकी इस घर को ले कर मुकेश ने भी सुन तो काफी कुछ रखा था अब तो बस बात यहाँ आकर रहने की ही थी। जैसे-तैसे मुकेश ने खुद को मन की उल्जनो से निकालते हुए कहा, अगर में भी इस तरह से डर गया तो भइया मेरा बिज़नेस तो चलने से रहा। इन सब अफवाओं को गलत साबित करने के लिए चाहे जो भी हो मुझे तो यहाँ रुकना ही पड़ेगा पर फ़िलहाल में अभी पूरी फेमिली को यहाँ शिफ्ट नहीं करूँगा ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो।
शायद आखरी की यही वो लाइन थी जिसमे मुकेश खुद भी आश्वस्त था वर्ना मुकेश का मन भी अब तक घर के बारे में सुने काफी किस्सों के भ्रम से भर गया था। अपनी इस उल्जन को खुद से दूर करते हुए मुकेश ने अपनी पत्नी को फ़ोन किया
सुनो लक्ष्मी आज इस घर में सिर्फ में ही शिफ्ट होऊंगा तुम सब को में यहाँ अगले सप्ताह तक ले आऊंगा। मुकेश ने उसकी पत्नी से कहा।
अचानक से क्या हुआ आपको ? सब ठीक तो हे ? हम लोगो ने तो यहाँ सारा सामान पैक भी कर लिया हे वह आने के लिए। लक्ष्मी ने आशचर्य से पूछना जारी रखा। आपने ही तो कहा था शाम तक सब यहाँ शिफ्ट होंगे।
हा तो अभी में ही बोल रहा हु की बाकि सब अगले वीक में यहाँ शिफ्ट होंगे फ़िलहाल में ही सिर्फ इस घर में रहूंगा अगले सात दिन तक। मुकेश ने थोड़ा तेज़ स्वर में कहा।
मुकेश के अचानक तेज़ हुए स्वर को लक्ष्मी ने समझते हुए कहा अच्छा कोई बात नहीं पर शाम को खाना खाने घर तो आ रहे हो या खाना भी वही बन रहा हे ? लक्ष्मी के इस प्रश्न ने मानो जैसे मुकेश को सपनो की दुनिया से निकल कर हकीकत के धरातल पर रख दिया ओर लक्ष्मी के इस प्रश्न से झेपते हुए मुकेश ने कहा। केसी बाते कर रही हो तुम मुझे खाना बनाने आता हे क्या ?
क्या पता नए घर के साथ साथ नयी खाना बनाने वाली भी मिल गई हो आपको … लक्ष्मी ने आपने पति देव की हंसी मज़ाक में खिचाई करते हुए कहा।
अरे यार यहाँ वैसे ही इतनी टेंशन हुई पड़ी हे, शिफ्ट करने को ले कर और तुम हो के यहाँ मेरे मज़े लेने में लगी हो। मुकेश ने मायूसी भरे स्वर में कहा।
ठीक हे आप फिर जल्दी से घर आजाओ में शिफ्टिंग का सारा सामान तैयार कर देती हु और खाना भी। लक्ष्मी ने मुकेश का मूड सही करने के उद्देश्य से कहा।
ठीक हे मेँ आता हु। मुकेश ने यह कहते हुए फ़ोन रखा और अपनी गाड़ी मे बैठ कर घर के लिए रवाना हो गया।
घर पहुंच कर मुकेश ने सभी फैमिली मेंबर्स से बात की और घर शिफ्टिंग को ले कर हुई उनके मन की उल्जन को दूर करते हुए उन्हें समजाया की यह घर उसने सिर्फ बिज़नेस के उद्देश्य से ख़रीदा हे इसलिए बाकि सभी मेंबर्स को उसके साथ वह शिफ्ट होने की जरूरत नहीं सिर्फ एक सप्ताह की बात हे उसके बाद मुकेश भी वहा से वापस आजायेगा।
मुकेश के माता पिता ने मुकेश के इस फैसले को थोड़ा संशय के साथ देखा क्युकी इससे पहले भी मुकेश ने काफी प्रॉपर्टी की डील की थी परन्तु वहा तो कभी ऐसी रुकने वाली नौबत नहीं आयी थी जरूर दाल मे कुछ काला हे खेर जो भी वो आखिरकार वो लोग भी मुकेश के समजाने से मान चुके थे।
अब तक शाम होने आयी थी और धीरे धीरे वो वक़्त भी आ ही गया जब मुकेश को अपने वर्तमान घर को छोड़ कर नए घर की और प्रस्थान करना था इसलिए शाम होते ही मुकेश अब अपने नए घर की और निकल चूका था। रास्ते मे ट्रैफिक की कुछ जद्दोजेहत के बाद फाइनली मुकेश अब घर मे भी पहुंच ही चूका था जो मशहूर था "छत्तवाले भूत का घर" नाम से।
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शाम के सुन्दर माहौल मे घर काफी चमक रहा था। ढलते सूर्य की रौशनी से घर की सौन्दर्यता अपने आप मे इतनी निखर रही थी जैसे यही वो घर था जिसकी चाहत मुकेश को भी कभी न कभी मन मे रही हो। घर के बाहर का इतना मनमोहक दृश्य देख कर मुकेश इस घर से जुडी सारी अफवाओं को जैसे भुला देना चाहता था।
आगे की कहानी आपको यही कुछ दिन मे मिल जाएगी - उम्मीद हे आपको यहाँ तक की कहानी पसंद आयी हो कमेंट सेक्शन मे आप अपनी राय इस कहानी के बारे मे बताना न भूले धन्यवाद !
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