You can use Hindi, English, or Hinglish language to chat with us. We are available from 11:00 AM to 5:00 PM, Monday to Saturday
Kiraye ka Bhoot Part 1 - Bhoot ka grah pravesh
Kiraye ka Bhoot Part 1 - Bhoot ka grah pravesh काफी वक़्त हो चला था सुमित और उसका परिवार न तो समय पर किराया दे रहे थे और न ही उस किराये के मकान को समय पर खाली..
SHORT HINDI STORYENTERTAINMENT
Yogesh Chandra Sharma
1 min read


Kiraye ka Bhoot Part 1 - Bhoot ka grah pravesh
किराये का भूत - भूत का गृह प्रवेश
कहानी लेखक :- योगेश चंद्र शर्मा
लीगल राइट्स – यह कहानी पूर्णतया कल्पना पर आधारित हे जिसका किसी वास्तविक जीवन से कोई लेना देना नहीं हे एवं लेखक ने स्वयं इसे कल्पना के आधार पर लिखा हे यदि कोई व्यक्ति इस कहानी को कही भी किसी भी रूप मे काम मे लेता हे तो उस व्यक्ति को पहले लेखक को इस कहानी का पूर्ण भुगतान करना होगा। यदि कोई व्यक्ति लेखक की अनुमति के बिना अपने काम मै लेगा तो लेखक को स्वतंत्र रूप से उस व्यक्ति पर क़ानूनी कार्यवाही करने का पूर्ण अधिकार होगा। जिसके समस्त हर्जे खर्चे का जिम्मेदार इस कहानी का दुरूपयोग करने वाला वह व्यक्ति स्वयं होगा। कृपया कहानी को लेखक से ख़रीदे बिना कही भी प्रयोग मै न लाये।
काफी वक़्त हो चला था सुमित और उसका परिवार न तो समय पर किराया दे रहे थे और न ही उस किराये के मकान को समय पर खाली करने के लिए तैयार थे। रमन लाल को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कैसे और क्या दिमाग लगा कर इन लोगों को इस घर से बाहर का रास्ता दिखाया जाये।
जब भी सुमित से घर खाली करने की बात होती सुमित किसी न किसी बहाने से रमन लाल की बात को टाल देता था जिसमे अधिकतर भावुक कर देने वाली बाते ही शामिल होती थी जैसे की इस बार किराया नहीं दे पाउँगा सर, क्युकी बाबूजी के पैर का ऑपरेशन हुआ हे, तो कभी बच्चो की स्कूल की फीस का बहाना बिच में आजाता था।
सुमित की #उम्र तो तक़रीबन 45 वर्ष के करीब थी परन्तु उसके बहाने सुन कर उन #स्कूल के बच्चो की याद आजाती, जो जब भी मास्टर जी के होमवर्क के बारे में पूछे जाने पर कुछ न कुछ भावुक कर देने वाले मनगढंत #किस्से #कहानिया सुना दिया करता था । खेर जो भी हो आज तो में सुमित से किराया वसूल कर ही रहूँगा। घर से यही प्रण ले कर निकलने वाले रमन अक्सर सुमित से बिना किराया वसूले निराश हो कर मुँह लटकाते हुए घर लोट आते थे ।
और जब रमन लाल की पत्नी उनसे पूछती "क्या हुआ? ले आये आप किराया?" तो रमन लाल अपने मिशन की नाकामी छुपाने के लिए सुमित के बोले जुठ में अपनी 4-5 चिकनी चुपड़ी बाते और जोड़ देते थे।
रमन लाल के किराया मांगने का और सुमित के #किराया न देने का ये क्रम कई महीनो तक चलता रहा वैसे #मकान खाली करवाने के लिए रमन लाल ने भी अभी तक कुछ कम बहाने नहीं बनाये थे। जैसे की 2-5 दिन में मकान खाली कर दो अगले महीने बेटी की शादी हे तो यहाँ बारात में आने वाले मेहमान रहेंगे। तो कभी अपने साले के बिज़नेस में हुए नुकसान के चलते उसके घर छोड़कर रमन लाल के यहाँ आ कर रहने के बारे में, परन्तु मानो जैसे सुमित ने ठान रखी थी, चाहे जो हो जाये घर खाली नहीं करूँगा मतलब नहीं करूँगा और सुमित की इसी ज़िद के चलते रमन लाल अब तक सुमित से वो घर खाली ही नहीं करवा पाए।
बात इतने तक ही रुक जाती तो शायद सुमित ज़िंदगी भर बहाने बना सकता था, परन्तु पिछले कुछ महीनो से हर बार नाकामी के साथ लौटने पर रमन लाल को उनकी श्रीमती से मिल रहे तानो की वजह से रमन लाल पूरी शिद्दत से कैसे भी कर के सुमित को इस घर से भगाने में लगे थे।
क्या हुआ ? लोट आये इस बार भी खाली हाथ? कविता जो की रमन लाल की पत्नी थी उन्होंने व्यंग भरे स्वर में रमन लाल से पूछा।
खाली हाथ नहीं इस बार कुछ ऐसा सोचा हे की सुमित तो क्या उसका पूरा खानदान घर छोड़ के भाग जायेगा । रमन लाल ने ऐसे अकड़ कर कहा जैसे मानो कोई जंग जीत कर आया हो।
वो तो तभी पता चलेगा जिस दिन वो लोग सच में घर छोड़ कर चले जायेंगे। कविता ने अपना अविश्वास साफतौर से जाहिर करते हुए कहा।
तुम्हे तो कभी मेरी बातो पर #भरोसा होगा ही नहीं। रमन ने झल्लाते हुए कहा ।
होगा कैसे? उस से घर खाली कराने के चक्कर में न जाने आपने कितनी बार मुझसे जुठ बोला हे।कविता भी बिना कविता पाठ पढ़े कहा रुकने वाली थी। जो मन में आये वो करो। कविता ने भी झल्ला कर कहा।
मन में आये वो करो पर करे क्या ? में कोई गुंडा बदमाश तो हु नहीं जो झट से #सुमित के वहा जा कर फट से उसका सामान बाहर फेक दू न ही में ऐसा करने के लिए किसी गुंडे बदमाश को बोल सकता हु, किसी गुंडे बदमाश ने ताव में आ कर सुमित का खून कर दिया तो बात कहा से कहा पहुंच जाएगी। और मान लो खून न भी हो तो भी उसके छोटे बच्चे हे पूरा परिवार हे उन सबके साथ में इस तरह की गिरी हुई और नीच हरकत नहीं कर सकता। ऐसे में आखिर तुम ही बताओ में करू भी क्या करू इस सुमित के बच्चे का जिससे सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे।
शायद कविता को तो ऐसी पल का इंतज़ार था अभी रमन ने अपनी बात पूरी ख़तम भी नहीं की वो बिच में बोल उठी मुझे पता था एक दिन तुम यही कहोगे इसलिए मेने पहले से ही अपने मुँह बोले भाई टिल्लू से बात कर के इस समस्या का #रामबाण ईलाज ढूंढ रखा हे। #कविता ने बहुत आत्मविश्वास के साथ कहा ।
रामबाण ईलाज? आश्चर्यचकित हो कर #रमन ने कहना जारी रखा। और यदि ऐसा कुछ #ईलाज तुम्हारे पास पहले से ही मौजूद था तो मुझे क्यों नहीं बताया ।
Kiraye ka Bhoot Part 1 - Bhoot ka grah pravesh - इस कहानी को पूरा पढ़ने के लिए आप इसे अमेज़न या फिर classbuddy.in वेबसाइट पर निचे दिए लिंक के माध्यम से खरीद कर पढ़ सकते हे।
Feel free to contact us.
Help & Support
Contact
All Rights Reserved © by Readynet 2017- 2025.
Important Links

