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यादो मे तुम - सफर की कहानी
कुछ कहानिया मिलने से शुरू हो कर न मिलने पर ख़तम होती हे, मेरी ज़िंदगी की यह कहानी भी इसी तरह किसी के मिल जाने से शुरू होती हे और ख़तम..? वो तो यहाँ मेने आपको पहले ही बता दिया हे। ख़ैर बात उस वक़्त की हे जब मुझे अपने घर से नई-नई जॉब पर जाने के लिए रोज ट्रैन से आना-जाना करना पड़ता था।
SHORT HINDI STORY
Yogesh Chandra Sharma
1 min read


यादो मे तुम - सफर की कहानी
कुछ कहानिया मिलने से शुरू हो कर न मिलने पर ख़तम होती हे, मेरी ज़िंदगी की यह कहानी भी इसी तरह किसी के मिल जाने से शुरू होती हे और ख़तम..? वो तो यहाँ मेने आपको पहले ही बता दिया हे।
ख़ैर बात उस वक़्त की हे जब मुझे अपने घर से नई-नई जॉब पर जाने के लिए रोज ट्रैन से आना-जाना करना पड़ता था। जब नई-नई नौकरी लगी थी तब मन में आने-जाने को लेकर काफी डर सा था। अकेले सफर करना वो भी रोज़-रोज़। रेल के सफर से ले कर ऑफिस के सारे काम निपटा कर घर आने जाने तक, हर रोज़ अजनबी चेहरों को देखना, सबकुछ मेरे लिए इतना सामान्य तो नहीं था।
मै जिस जगह से आयी हु वो जगह सामान्य गांव से थोड़ी बड़ी, हा मगर किसी भी बड़े शहर से थोड़ी छोटी जरूर थी, एक तरह से आप उसे क़स्बा मान सकते हे।
शायद अब आप मेरी पूरी परिस्थिति से वाकिफ हो कर एक छोटे से कस्बे से निकल कर एक अकेली लड़की के शहर मेँ आने जाने की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हे, परन्तु यहाँ भी आप मेरे मन मेँ जो हलचल मची हुई थी उसका सिर्फ अंश-मात्र ही अंदाजा लगा पाएंगे क्योकि उस हर-रोज़ के सफर मेँ हर एक नए पल के बीतने के साथ मेरे मन मेँ कई सारी उलझने होती थी। उसमे से कई सारी उलझने तो मेरे घर परिवार की होती थी तो कई सारी रेल मेँ मेरी सीट के सामने और आस पास बैठ कर मुझे घूरने वाली गन्दी नज़रो की।


एक लड़की होने के नाते घूरती आँखों के मन मे चल रहे भावो को पहचानने का हुनर तो मुझे बचपन से ही मिला था, परन्तु इस हुनर के साथ एक प्रश्न भी हमेशा से ही मेरे मन मे रहा, आखिर कब इन नज़रो मेँ मेरे लिए भी सम्मान होगा ?
आज भी मै इसी तरह की उलझनों से मन ही मन प्रश्न-उत्तर के इस खेल मै खोयी थी, तभी अचानक से मेरे कानो मे पड़ी एक आवाज़ ने मेरा ध्यान हकीकत के धरातल की और खींचा।
मेडम अपना टिकिट दिखाइए, प्लीज !!
आवाज़ काफी रोबदार थी पर शब्दों मे विनम्रता थी। विचारो मे मग्न मेरा चेहरा एक दम से उस आवाज़ की और मुड़ा तो देखा सामने टीटी खड़ा था।
हा दो मिनट। बोल कर मेने अपने पर्स मे से टिकिट निकाल कर टीटी को दिया।
टिकिट देख कर टीटी ने कहा - आपके पास कोई डॉक्यूमेंट या आई.डी. हो तो दिखाइए।
टिकिट देखने तक तो ठीक हे क्योकि ये बात मेरे रोज़ के सफर मे सामान्य थी परन्तु आज ये अचानक से आई.डी.?? आई.डी. की बात कहा से आगयी??
वैसे अक्सर जो टीटी मुझे रेल के सफर मे टिकिट चेकिंग के दौरान मिलते थे उनकी उम्र लगभग 40 वर्ष से उप्पर की होती थी और आज जो टीटी मेरे सामने खड़े हे उनकी उम्र लगभग मेरी ही उम्र के आस-पास रही होगी।
लगभग मै निश्चित तोर पर तो नहीं पर अंदाजन कह सकती हु उस टीटी की उम्र लगभग 28 वर्ष तो रही होगी। उम्र की इस बात से यहाँ आप यह मत समजिये की मेरी उम्र भी 28 वर्ष हे, आपके मन की उलझन को दूर करने के लिए यहाँ मै बस इतना बता दू की मेरी उम्र 28 वर्ष से भी कम हे। अब बस यहाँ ये मत पूछना की कितनी? क्योकि लड़कियों से उनकी उम्र नहीं पूछी जाती।
मेडम जरा जल्दी कीजिये, देर हो रही हे, और भी काफी पैसेंजर अभी बाकि हे। (टीटी के यह शब्द एक बार फिर से मेरे कानो मै पड़े)
2 मिनट दीजिये मै डीजी लॉकर एप्प का पासवर्ड भूल गयी हु, एप्प ओपन होते ही मै आपको आई डी दिखा दूंगी। मेने प्रतिउत्तर मै कहा और अपने मोबाइल मै डीजी लॉकर एप्प खोल कर उसमे आगे करना क्या हे इस सोच मै डूब गयी, फ़ोन की स्क्रीन तो मेरे सामने ही थी पर अब करना क्या मुझे ये कैसे पता चलेगा मन मै बस यही उलझन चल रही थी)
टीटी की शक्ल उस वक़्त देखने लायक थी। शायद नई-नई ही नौकरी लगी हे उनकी क्युकी उनकी कम उम्र को देखते हुए इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता था।


उधर टीटी बिना कुछ बोले बाकि लोगो की आई.डी. चेक करने मे लग गए और इधर मे अपने डीजी लॉकर एप्प के पासवर्ड को याद करने मे लग गयी जो की मुझे अब तक याद नहीं आ रहा था, दुनियाभर की तो एप्लीकेशन और अकाउंट रहते हे मोबाइल मे और फिर सबके पासवर्ड याद रख पाना कितना मुश्किल हे, वैसे मेने सबका पासवर्ड एक ही रखा था और वो मुझे याद भी था परन्तु वो कहते हे न जब काम पड़ता हे किसी चीज़ का तो उसी वक़्त वो चीज़ कहा रखी हे ये तक याद नहीं आता। बस ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हो रहा था अभी।
मेरी लाख कोशिशों के बाद भी मुझे यह याद ही नहीं आ रहा था मेने पासवर्ड क्या रखा था उप्पर से मन मे इस बात का डर भी था की यदि पासवर्ड नहीं याद आया तो टीटी को क्या बोलूंगी, कही वो मुझे चलती ट्रैन से उतरने को तो नहीं बोल देंगे नहीं दिखने मे तो भले इंसान ही लग रहे हे वैसे भी चलती ट्रैन से निचे उतारेंगे तो मुझे चोट लग जाएगी और फिर उनकी नौकरी चली जाएगी इसलिए ऐसा तो नहीं करेंगे वो। पासवर्ड के अलावा मेरा ध्यान बाकि सारे प्रश्नो से गिर आया और इस बिच समय भी ट्रैन के साथ साथ अपनी रफ़्तार पकड़े हुए था इसलिए अब तक मुझे मिला समय भी समाप्त हो गया और तभी फिर से वही आवाज़ एक बार फिर से सुनने को मिल गयी।
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