Contents
- 1 Chattwala Bhoot Part 3
- 1.1 छत्तवाला भूत पार्ट 1
- 1.2 छत्तवाला भूत पार्ट 2
- 1.3 A Shortcut to Growing Your Online Business
- 1.4 ऑनलाइन बिजनेस बढ़ाना हे तो यह तरीके अपना लो 100%
- 1.5 लोगो को गूगल एडसेंस अप्रूवल क्यों नहीं मिल रहा?
- 1.6 Why Justcommand.com AI is better than other AI programs?
- 1.7 Kyo justcommand.com AI baki AI programs se behatar hai?
- 1.8 Me or Dusari Duniya Part 2
- 1.9 क्लिकएबल बिज़नेस कार्ड – Clickable Business Card
- 1.10 ब्लोग्स होने से क्या फायदे हे ?
- 1.11 ब्लॉग क्या होता हे?
- 1.12 Chattwala Bhoot Part 3
- 1.13 Chattwala Bhoot Part 2
- 1.14 Chattwala Bhoot Part 1 – छत्तवाला भूत
Chattwala Bhoot Part 3
कहानी लेखक :- योगेश चंद्र शर्मा
लीगल राइट्स – यह कहानी पूर्णतया कल्पना पर आधारित हे जिसका किसी वास्तविक जीवन से कोई लेना देना नहीं हे एवं लेखक ने स्वयं इसे कल्पना के आधार पर लिखा हे यदि कोई व्यक्ति इस कहानी को कही भी किसी भी रूप मे काम मे लेता हे तो उस व्यक्ति को पहले लेखक को इस कहानी का पूर्ण भुगतान करना होगा। यदि कोई व्यक्ति लेखक की अनुमति के बिना अपने काम मै लेगा तो लेखक को स्वतंत्र रूप से उस व्यक्ति पर क़ानूनी कार्यवाही करने का पूर्ण अधिकार होगा। जिसके समस्त हर्जे खर्चे का जिम्मेदार इस कहानी का दुरूपयोग करने वाला वह व्यक्ति स्वयं होगा। कृपया कहानी को लेखक से ख़रीदे बिना कही भी प्रयोग मै न लाये।
यह कहानी हमारी पिछली कहानी छत्तवाला भूत पार्ट 2 के आगे आगे का हिस्सा हे!
छत्तवाला भूत पार्ट 1
छत्तवाला भूत पार्ट 2
बढ़ते अँधेरे के साथ रात की शुरुआत हो चुकी थी मुकेश अब उस भूतिया घर के अंदर था जिसे लोग “छत्तवाले भूत के घर” के नाम से बुलाते थे। मुकेश के मन में डर तो था परन्तु कही न कहि प्रॉफिट का उसका लालच उसे डर से दूर कर जैसे तैसे इस घर में रात बिताने पर मजबूर कर रहा था। इस बिच मुकेश का मन काफी शंकाओ से भी गिरा हुआ था। अपने मन को भटकाने के लिए मुकेश ने अपने दोस्त प्रकाश को फ़ोन कर लिया और उन दोनों के बिच बातचीत का दौर शुरू हो गया।
हेय !! (मुकेश ने कहा)
क्या बात हे भाई ? सब ठीक तो हे वहा ? (प्रकाश ने चिंता भरे स्वर में पूछा)
हा यार अब तक तो सब ठीक ही हे यहाँ, वैसे भी यदि इस घर में सच में कोई भूत होता तो अब तक तो सामने आ ही गया होता (मुकेश ने मज़ाक भरे लहज़े में कहा)
हा और जैसे तुजे अभी मुझसे बात करने ही दे रहा होता वो भूत। (प्रकाश ने मुकेश के सुर में सुर मिलाते हुए कहा) चलो अच्छा ही हे कम जैसे तैसे आज की रात वहा निकल लो कल वापस आजाना।
अरे नहीं सिर्फ एक रात की बात कहा अभी तो लगभग एक सप्ताह तो मै यही रुकूंगा उसके बाद सब सही रहा तो पूरी फैमेली को भी यहाँ ले कर आऊंगा ताकि आस पास के लोग हमें यहाँ रहता हुआ देख सके और अपने मन से उस छत्तवाले भूत का डर निकाल पाए। (मुकेश ने अपने स्वर को भारी करते हुए कहा मानो ऐसा कर कर के वो कोई बहुत बड़ा इनाम जितने वाला हो )
सही हे भाई तूने तो पूरी प्लानिंग कर रखी हे। चल ठीक हे अब मेरे सोने का समय हो गया हे मै सोता हु और तू भी सो जा वैसे भी वहा रात भर अकेले जग कर करेगा भी क्या ! हा पर आधी रात मे भी तुजे मेरी जरूरत लगे तो बस एक फ़ोन कर देना मे आजाऊंगा (प्रकाश ने मुकेश को दिलासा देते हुए कहा)
शायद ऐसी नौबत नहीं आएगी फिर भी तुम्हारे इस साथ के लिए थैंक्स ! कम से कम इस बात मे तो मेँ लकी हु की मेरे पास तुम्हारे जैसा सच्चा दोस्त हे। (मुकेश ने प्रकाश की बात पर गर्व करते हुए कहा )
चल अब नौटंकी हो गयी हो तो फ़ोन रख। (प्रकाश ने मज़ाकिया अंदाज़ मेँ कहा)
हा गुड नाईट, बाय (मुकेश ने प्रकाश को बाय बोलते हुए फ़ोन रख दिया)
मुकेश अब प्रकाश से बात कर के थोड़ी देर के लिए खुद को तनाव मुक्त महसूस कर रहा था। जीवन मेँ सच्चे मित्रो का होना इसलिए ही जरुरी भी हे कम से कम उनसे बात कर के परेशानी हल हो न हो मन मेँ एक सुकून जरूर होता हे।
अभी तक तो सब कुछ ठीक ही चल रहा था परन्तु मन मेँ एक डर तो अब भी था ही और शायद यही वजह भी थी जिसके कारन मुकेश इस घर मेँ आ तो गया था परन्तु इधर उधर कमरों मेँ ज्यादा जाने के बजाय हॉल मेँ ही अपना समय व्यतीत करना पसंद कर रहा था। खेर जो भी हो अब तक भूतिया कहे जाने वाले इस घर मेँ भूत का कही नामोनिशान नहीं था। और जैसे तैसे डरते डरते ही सही मुकेश ने एक रात पूरी इस घर मेँ अकेले ही गुजर ली न तो अब तक कोई भूत उसे दिखा था न ही घर मेँ ऐसा कुछ भी उसे महसूस हुआ जिससे डरा जा सके सब कुछ सामान्य था।
बिना कुछ हुए पूरा दिन बीत जाने की ख़ुशी मुकेश को थी परन्तु जिन लोगो को इस घर के बारे मेँ पता था उन लोगो को मुकेश से ज्यादा मुकेश की परवाह थी जिसमे से एक लक्ष्मी भी थी जिसने उसकी पत्नी होने का धर्म बखूभी निभाया और एक पल के लिए भी मुकेश को अकेला न छोड़ते हुए रात भर उससे फ़ोन पर बात की। सुबह उठाते ही मुकेश के जिगरी दोस्त प्रकाश ने भी उसके हाल चाल पूछे और बिना परेशानी के पूरा दिन आराम से निकाल लेने के लिए उसे बधाई भी दी।
मुकेश अब भी उल्जन मेँ तो था ही पर अब वो पहले से ज्यादा कॉंफिडेंट भी था और हो भी क्यों न आखिरकार उसने बिना डरे बिना कुछ हुए भूतवाले घर मेँ एक रात पूरी गुजार जो दी थी। उसे अब यही लग रहा था या तो लोगो ने इस घर को सस्ते दामों मेँ खरीदने के लिए अफवाह उड़ाई हुई हे या फिर हो सकता हे लोगो के मन का वहम हो की यहाँ कोई भूत वूत हे।
फ़िलहाल तो मेरी ज़िंदगी यहाँ मज़े मेँ कटेगी (मन ही मन मुकेश ने खुद से कहा)
आखिरकार इस नए दिन की नयी शाम भी आ ही गयी इस वक़्त मुकेश खाना खा कर घर के बहार निकला सोचा थोड़ा आस पास के लोगो से गुल मिल लिया जाए आखिरकार उन लोगो की नज़र मेँ भी तो उसे आना ही था जो यह मन बैठे थे की इस घर मेँ कोई जिन्दा इंसान नहीं रह सकता। इसलिए मुकेश ने घर के बहार निकल कर काफी लोगो से मुलाकात भी की।
जितने लोग थे उतनी बाते भी थी लोगो को आशचर्य भी था की आखिर कैसे मुकेश ने वहा रात गुजार दी होगी और मुकेश ने बड़ा चढ़ा कर लोगो के बिच घर की तारीफ की ताकि उसे लोगो का विश्वास मिल जाये तो और साथ ही उनमे से कोई यदि इस घर को खरीदना चाहे तो वो भी उसके सामने अपना प्रस्ताव रखे। खेर जो भी हो मुकेश ने अपनी तरफ से कही कोई कसर बाकि नहीं रखी और वापस ढलती शाम के साथ अपने घर की और लोट आया।
घर के अंदर की और आते हुए मुकेश की नज़र अचानक से घर के उप्पर की और पड़ी। छत वाला वो भाग जो इस घर की भव्यता को लुभावना बना रहा था। काफी शानदार तरीके से वहा पर घर को खूबसूरत बनाने के लिए तरह तरह की डिज़ाइन भी थी। तभी अचानक से वहा मुकेश को किसी के होने का अहसास हुआ। मुकेश को लगा आखिरकार वो पल आ ही गया जब भूत से उसका सामना होने वाला था परन्तु तभी उसे अहसास हुआ घर के पास बनी एक और बड़ी सी बिल्डिंग की छाया उसके घर की छत्त पर दिख रही थी। कुछ पल का सुकून खो कर मानो मुकेश ने दुबारा इस पल मेँ अपनी ज़िंदगी पा ली थी।
थैंक गॉड ये सिर्फ एक शैडो हे लग तो ऐसे रही जैसे कोई लम्बा सा साया वहा खड़ा हो। (मुकेश ने राहत की साँस लेते हुए अपने कदम घर के अंदर की और बढ़ाये)
घर के उप्पर दिख रही वो छाया भी मुकेश के घर मेँ घुसते ही घर से गायब हो गयी थी।
इस बात से अनजान मुकेश यही सोच रहा था की अब तक सब कुछ शांत हे और सबकुछ मुकेश के तय किये अनुसार ही चल रहा हे इसलिए डर को भूल कर कुछ दिन बीत जाने के बाद मुकेश अब निर्भीक हो चला था या यु कहा जाये की जो डर और भय मुकेश का इस घर मेँ आने से पहले था अब वो बिलकुल उसके मन से दूर हो चला था।
अब निर्भीक अंदाज मेँ मुकेश पुरे घर मेँ इधर से उधर कभी भी कही भी आ जा सकता था। हा रातो को सोते समय उसे एक दो बार डरावने सपने जरूर आये मगर मुकेश को पता था यह सब सपने उसकी इस घर को ले कर सुनी सुनाई बातो पर की गयी ओवर थिंकिंग का नतीजा हे इसलिए उसने कभी उन सपनो को इतना महत्त्व ही नहीं दिया।
इस तरह से दिन रात बीतते बीतते आज मुकेश को इस घर मेँ रहते हुए पुरे 6 दिन बीत चुके थे। मुकेश को अब यह घर अच्छा भी लगने लगा था और उसके मन से इस घर मेँ भूत होने का वहम पूरी तरह से खतम भी हो चूका था। कल वैसे भी सुबह मुकेश इस घर को छोड़ कर अपने पुराने घर लौटने वाला था क्युकी मुकेश का इस घर मेँ रुकने का मकसद अब तक पूरा हो चूका था उसने आस पास गुम फिर कर लोगो के मन मेँ इस घर को चल रही अफवाह को काफी हद तक दूर भी कर दिया था और लोगो की नज़र मेँ भी ये घर अब सामान्य हो चला था।
शाम का वक़्त था मुकेश ने अपना खाना ख़तम कर के उसकी पत्नी लक्ष्मी को फ़ोन किया और फ़ोन पर बात करते करते न जाने मुकेश को क्या सूजी मुकेश के कदम घर की छत की जाने वाली सीढ़ियों की और बढ़ गए।
यदि आप इस कहानी को एड के बिना पढ़ना चाहते हे तो आप अमेज़न या classbuddy.in वेबसाइट पर इसकी ebook खरीद कर पढ़ सकते हे।
आगे की कहानी का भाग आपको 2 दिन बाद इसी पोस्ट मे लिंक के साथ मिल जायेगा। कहानी को यहाँ तक पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। उम्मीद हे आपको यहाँ तक की कहानी जरूर पसंद आयी होगी। कमेंट मे आप चाहे तो अपने सुझाव हमसे साझा कर सकते हे।
Click Here to read Free Part 1 – Chattwala Bhoot Part 1
Click Here to read Free Part 2 – Chattwala Bhoot Part 2
Click Here to read Free Part 4 – Chattwala Bhoot Part 4
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