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Me or Dusari Duniya Part 4

मै और दूसरी दुनिया भाग 4

Me or Dusari Dunia Part 4 – मै और दूसरी दुनिया भाग 4

कहानी लेखक :- योगेश चंद्र शर्मा

लीगल राइट्स – यह कहानी पूर्णतया कल्पना पर आधारित हे जिसका किसी वास्तविक जीवन से कोई लेना देना नहीं हे एवं लेखक ने स्वयं इसे कल्पना के आधार पर लिखा हे यदि कोई व्यक्ति इस कहानी को कही भी किसी भी रूप मे काम मे लेता हे तो उस व्यक्ति को पहले लेखक को इस कहानी का पूर्ण भुगतान करना होगा। यदि कोई व्यक्ति लेखक की अनुमति के बिना अपने काम मै लेगा तो लेखक को स्वतंत्र रूप से उस व्यक्ति पर क़ानूनी कार्यवाही करने का पूर्ण अधिकार होगा। जिसके समस्त हर्जे खर्चे का जिम्मेदार इस कहानी का दुरूपयोग करने वाला वह व्यक्ति स्वयं होगा। कृपया कहानी को लेखक से ख़रीदे बिना कही भी प्रयोग मै न लाये।

यह कहानी “मै और दूसरी दुनिया पार्ट-3” के आगे का हिस्सा हे।

अब आगे होगा क्या….??? मेरा मन इसी बात पर अटक कर रह गया था और जिकारुल जो की सबका भविष्य देख सकता था वो भी मेरा भविष्य नहीं देख पा रहा था। मेरा ही क्यों, जिकारुल को 7 दिन के बाद किसी का भी भविष्य नहीं दिख रहा था और यही बात जिकारुल और मेरी दोनों की ही चिंता का विषय बनी हुई थी। और हम दोनों के मन में ही अपने अपने सवाल भी थे। जैसे की क्या 7 दिन बाद दुनिया समाप्त होने वाली है? या फिर 7 दिन के बाद मे, मै मरने वाला हु? पर यदि सिर्फ मै ही मरने वाला हु तो बाकि लोगो का भविष्य जिकारुल को क्यों नहीं दिख रहा? क्या जिकारुल की मौत होने वाली हे ? या फिर हम दोनों हि एक साथ मरने वाले थे? सवाल कई सारे थे मन में पर इन सवालो का दूर दूर तक हम दोनों के पास कोई जवाब नहीं था।
खेर जो भी हो जब हमें लोगो का आगे आने वाले 7 दिनों का भविष्य दिखाई हि नहीं दे रहा था तो ऐसे मै हमें कुछ दिनों के लिए बहाना बना कर लोगो को मुझ तक पहुंचने से भी रोकना था क्युकी यदि लोग मेरे पास आ भी जायेंगे तो मेरे पास उनके भविष्य से जुडी कोई बात उन लोगो को बताने के लिए नहीं होगी। ऐसे मै लोग तरह तरह के इलज़ाम भी लगा सकते हे और जिकारुल की सहायत करने का मेरा उद्देश्य भी इससे नाकामियाब हो सकता हे। इसलिए लोगो को मुझसे दूर रखने के लिए मेने लोगो से

कुछ दिनों के विश्राम की बात कह कर फ़िलहाल के लिए उन्हें मुझ तक पहुंचने से रोक दिया था।
चारो और एक बार फिर से लोगो का मुझसे न मिल पाने के लिए रोका जाना चर्चा का विषय था। जमाना भी अजीब हे पहले कुछ लोग इसलिए परेशान थे की मै लोगो लोगो के बिच मेलजोल बढ़ा कर अपनी प्रसिद्धि पा रहा तो अब उसके उलट लोग इसलिए परेशान हे की मेने लोगो से दुरी बना रखी हे। किसी ने सच ही कहा हे की “कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम हे कहना”

अभी तक जो भी घटना घटित हो रही थी वह वही घटना थी जो की मेने 7 दिन पहले हि अपने भविष्य में देखा था। और आज जब इस घटना का 7वा वही आखरी दिन हे जिसके बाद मुझे और जिकारुल को भविष्य दिखाई नहीं देने वाला हे तो ऐसे में हम दोनों की बेचैनिया भविष्य की चिंताओं में बढ़ी हुई थी।
जैसा की मुझे पता था आज सातवा दिन हे तो अभी थोड़ी देर मै मेरे पास एक गवर्मेंट अथॉरिटी से फ़ोन आने वाला हे जो की मेरे घर पर आकर मेरे घर की जांच पड़ताल कर के मेरे भविष्य देखने की शक्तियों के बारे मै पता लगाना चाहते हे और इसी जाँच पड़ताल में वो लोग मुझसे मेरा जिकारुल से बात करने वाला यह यन्त्र भी छीन लेंगे।
सब कुछ जानते हुए भी मै मेरे घर की जाँच के लिए किसी अधिकारी को मना नहीं कर सकता था क्योकि मना करने पर तो इन लोगो का शक इस बात के यकीन मै बदल जायेगा की मै कोई भविष्य नहीं देख सकता हु भविष्य देखने के लिए मै किसी यन्त्र का प्रयोग कर रहा हु। और वैसे भी जैसा की जिकारुल ने कहा था मै सिर्फ भविष्य देख सकता हु परन्तु भविष्य बदल नहीं सकता हु इसलिए मै होनी को टाल नहीं सकता था और जो होना लिखा हे वो सब हो कर हि रहेगा। मुझे बस जो जैसा हो रहा उसके हिसाब से ही चलना था।

मन ही मन तो अब ये भविष्य देखने की शक्ति मुझे बिलकुल किसी काम की नहीं लग रही थी। भला ऐसी शक्तिया भी क्या काम की जिसमे आप भविष्य देख तो सकते हो परन्तु उसमे कुछ अपने हिसाब से अपनी सुविधा के लिए बदल नहीं सकते।
मै इन्ही व्यर्थ की चिंताओं के सागर मै गोते लगा रहा था तभी सारे गवर्मेंट ऑफिसर्स मेरे घर पर तलाशी वारंट के साथ आ पहुंचे थे। मेरे स्टाफ के साथ थोड़ी बहुत नोक जोक और न मिल पाने की बहानेबाजी के बाद वो लोग मुझ तक पहुंच ही गए। मै घर के हॉल मै ही बैठा था।
इसलिए कुछ ऑफिसर्स ने वही मुझसे वही पूछताछ शुरू कर दी और कुछ ऑफिसर ने मेरे घर के एक-एक कमरे की तलाशी लेना शुरू कर दीया । जैसे जैसे उनके प्रश्न मेरे से पूछे जा रहे थे ठीक वैसे ही मै उन प्रश्नो का उत्तर बड़ी सूझ बुझ दिखाते हुए दिए जा रहा था। और अंततः वो क्षण भी आ ही गया जिसके आगे का भविष्य जिकारुल नहीं देख पा रहा था।

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एक ऑफिसर ने मुझसे मेरा मजाक उड़ाते हुए कहा आपको तो अब तक पता लग ही गया होगा की हम लोग यहाँ क्यों आये हे ? फिर आप अब तक यहाँ से क्यों नहीं भागे बाबाजी? या फिर आज आपकी शक्तिया काम नहीं कर रही ? सर मै दर्द होगा?
तभी दूसरे ऑफिसर ने बात को बिच मै रोकते हुए अपना मुँह व्यंगात्मक रूप से बना कर कहा….भागने के लिए भी तो पहले बाबाजी को पता होना चाहिए न की हम लोग आज अचानक यु आने वाले हे। हमारे सामने कहा बाबाजी का कोई जादू चलने वाला हे जो भविष्य देख कर इन्हे हमारे आने की खबर मिल जाए। अब तो पकड़े गए बेचारे।
मेने भी ऑफिसर के मजे लेते हुए कहा यदि जादू न होता तो मै आरोपी केसा ?
दोनों ऑफिसर एक दूसरे की शकल देखने लग गए…फिर तीसरे ऑफिसर ने अपना सर खुजा कर कहा लोगो को गुमराह करने के जुर्म मै …
किसी को सच बताना गुमराह करना नहीं होता मुझसे मिला एक व्यक्ति ऐसा ले आओ जो यह कह सके की मेने उसका जो भविष्य उसे बताया वो गलत था।
गवर्मेंट से तथ्य छुपाना तो जुर्म हे ना ? चौथे ऑफिसर ने अपनी वर्दी का रॉब जाड़ते हुए कहा।
बिलकुल हे मेने कब मन किया …परन्तु मेने ऐसा कोई तथ्य सरकार से छुपाया ही नहीं हे। यदि छुपाया होता तो जुर्म होता। मेने बी प्रतिउत्तर मै कहा।
वो तो अभी पता चल जायेगा बाबाजी…फिर से पहला ऑफिसर बोल पड़ा ….आपके पास कोई ऐसी चीज हे जो आप हमेशा लोगो को भविष्य देखते समय अपने पास रखते हो …
मेने उस ऑफिसर की बात बिच मै काटते हुए हसते हुए पूछा…तो अब ये भी क्या कोई जुर्म हे ?
जुर्म तो नहीं पर हमें यह जानना हे की आखिर वो चीज़ हे क्या ? और यदि छुपाने जैसा कुछ नहीं तो आपको बताने मै क्या परेशानी….
अफसर बारी बारी से एक एक कर के अपने सवाल पूछ रहे थे। और मै मन ही मन सोच रहा था लगता हे आजकल पूछताछ की भी “होम डिलेवरी” होने लगी।
आज दिन तक जब किसी ने इस बारे मै पूछा ही नहीं तो किसे और कैसे बताऊ? आज जब आप पूछ रहे हे तो बता देता हु ये मेरा लकी बक्सा हे जिसके पास होने से मुझे सकारात्मक ऊर्जा मिलती हे। इसकी चमक मुझे अच्छी लगती हे साथ ही ये क्रिस्टल जैसे किसी पदार्थ से बना हे जो पारदर्शी होने के कारण सबका मन मोह लेता हे इसलिए मै हमेशा इसको सकारात्मक दृष्टि से देखते हुए अपना आत्त्मविश्वास बनाये रखने के लिए अपने पास रखता हु परन्तु आप यह बात भी जान लीजिये की ऐसा नहीं की ये बक्सा नहीं होगा तो मै कुछ नहीं कर सकता…मेरा भविष्य देखने का हुनर किसी मामूली से बक्से का मोहताज़ नहीं… ये बोलते हुए मेने उस बक्से (यन्त्र) को जोर से दिवार पर फेक दिया।
सारे ऑफिसर एक दम हक्के-बक्के हो कर मेरी तरफ देखने लगे क्युकी कांच जैसे ही किसी पदार्थ से बना वो यन्त्र अब पूरी तरह से टूट कर बिखर चूका था।
लीजिये आज से कभी भी किसी को भी भविष्य बताते वक़्त मेरे पास आपको कभी यह बक्सा नहीं दिखेगा उम्मीद हे, आप इतनी सी बात के लिए मुझे अब और परेशान नहीं करेंगे।

सारे ऑफिसर्स की होशियारी धरी की धरी रह गयी, ऑफिसर के हाथ अब भी कुछ खास सबुत लगा नहीं, साथ ही पुरे घर की तलाशी भी लगभग पूरी हो चुकी थी। निराशा के साथ लौटने के अलावा ऑफिसर्स के पास अब कुछ बचा नहीं था। और वही दूसरी तरफ ऑफिसर्स की इस कार्यवाही का पता न्यूज़ चैनल वालो को भी लग चूका था फ़िलहाल धीरे धीरे कर के मेरे घर पर मीडिया का जमावड़ा लग चूका था इसलिए अपनी बची-कूची इज्जत को और नीलम ना होने से बचाने के लिए, इस बात को बिना आगे बढ़ाये सारे ऑफिसर्स ने वहा से चुपचाप निकल जाने मै ही अपनी भलाई समझी।

वही दूसरी और मेरे चेहरे पर मुस्कान थी और मन मै यही प्रश्न था की अब मै जिकारुल से संपर्क कैसे करूंगा? क्या कभी अब मेरी जिकारुल से बात भी हो पायेगी?

अचानक से मेरा ध्यान जिकारुल की कही उस बात पर भी गया था जिसमे उसने मुझसे कहा था की मुझसे ये यन्त्र छीन लिया जायेगा औऱ में अपना भविष्य सिर्फ जिकारुल के माधयम से देख सकता हु परन्तु उसे बदल नहीं सकता तो क्या मेने अपना भविष्य बदल दिया? औऱ अब इस बदले भविष्य के परिणाम क्या होंगे? अब मेरा मन कई प्रश्नो के साथ अंदाजे लगाने में खो चूका था। में और दूसरी दुनिया क्या फिर से एक बार जुड़ पाएंगे……?

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